रविवार, 19 दिसंबर 2021

मेरे सपनों का 2047 का भारत

प्रस्तावना- भारत जो कि विश्व में सबसे ज्यादा युवा आबादी वाले देश के रूप में जाना जाता है। शायद इसलिये ही इसे "युवा भारत" कह कर पुकारा जाता है। आज विश्व में भारत अपनी युवा ऊर्जा के साथ विकास के  पायदान पर लगातार आगे बढ़ रहा है। क्षेत्र भले ही कोई भी हो भारत का हर नौजवान देश के विकास में अपनी भूमिका अदा करने के लिए कटीबद्ध है ।


2020 में भारत - हमारे बचपन में  शायद कक्षा 5वीं, 6वीं में स्कूल में *भारत के पूर्व राष्ट्रपति मिसाइल मेन डॉ श्री ए पी जे अब्दुल कलाम जी* के "इण्डिया विजन 2020" के बारे में पढ़ा था। अब इसे अपनी नादानी समझूँ या टीचर के पढ़ाने की कुशलता, उसे पढने के बाद मेरे मस्तिष्क पटल में भी 2020 के एक स्वर्णिम भारत का एक चित्र बन गया था। 

इस स्वप्न को 2020 में करारा झटका लगा जब विश्व में कोरोना महामारी का आगमन हुआ। अपने प्रारंभिक दौर में विश्व के अनेकों देशों में, मौत का तांडव करने के बाद इसने भारत में प्रवेश किया। पिछले 2 सालों में चुनाव के कारण विकास का पहिया जेसे थम सा गया था, उस पर एक एसी बीमारी का आगमन, जिसके न ही स्वरूप का पता था न ही समाधान  का, भारत जेसे विकासशील देश के लिए चिंता का विषय था। 

  कोरोंना महामारी के प्रथम चरण में भारत वासियों ने देश की सरकार का कंधे से कंधा मिलाकर साथ दिया। लेकिन कोरोना के दूसरे चरण ने भारत में बेहिसाब तबाही मचाई और विश्व को 20 साल पीछे फेंक दिया। इससे देश की अर्थव्यवस्था को भी काफी प्रभाव पड़ा। 


2047 का भारत- महामारी के इस दौर में भी इस युवा भारत ने हार नहीं मानी और देश के यशस्वी प्रधान मंत्री मा. श्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में विकास के पथ पर आपनी यात्रा जारी रखी। मगर यह अब इतना सरल भी नहीं है, भारत को एक विकसित देश का दर्जा दिलाने के लिए, या यू कहे कि भारत को पुन: विश्व गुरु बनाने के लिए अब भारत देश कि युवा शक्ति को आगे आना होगा।

  किसी भी देश के समुचित संचालन के लिए उस देश की व्यावसथापिका और कार्यपालिका का मजबूत होना बहुत आवश्यक है। आज देश के युवा के लिए य़ह अत्यंत आवश्यक है कि वह शासन व प्रशासन के कार्यो में अपनी हिस्सेदारी सुनिश्चित करे। आज हम देखते हैं कि भारतीय प्रशासनिक सेवाओं में हमारी युवा पीढ़ी अपनी महत्तवपूर्ण भूमिका अदा कर रही है, पुरुष हो या महिला बिना किसी भेद भाव के देश के विकास में एक साथ कदम से कदम मिलाकर अपना योगदान दे रहीं हैं। 

  लेकिन यह केवल एक पक्ष है, शासन व प्रशासन एक सिक्के के दो पहलू जेसे है या समझने के लिए यू कहे कि एक साइकिल के दो पहिये है। जिसके समुचित संचालन के लिए दोनों पहियों का बराबर होना आवश्यक है। 



  आज युवा पीढ़ी शासकीय सेवाओं में तो जाना चाहती है लेकिन, जब बात सरकार और राजनीति की आती है तो सब पीछे हटते नजर आते हैं। आपने भी राजनीति पर अपनी टिप्पणी देते तो सब को सुना होगा लेकिन उसमें आ कर सुधार करने से सभी परहेज करते हैं। आज देश के उचित संचालन के लिए एक युवा और जोश पूर्ण सरकार का होना बहुत आवश्यक है। इसके लिए हमारी युवा पीढ़ी से बढ़ कर मुझे कोई दूसरा विकल्प दिखाई नहीं देता। यह पीढ़ी संस्कृति और आधुनिकता के संक्रमण काल की पीढ़ी है, जिसने अपने बुजुर्गों की संस्कृति और विज्ञान के चमत्कार दोनों देखें हैं। इनके पास अपनी पुरानी पीढ़ी के दिये हुये अनुभव के साथ साथ नवाचार के संसाधन भी है।

  अब देश को पुन: विश्व गुरु बनाने के लिए इस युवा शक्ति को राजनीति के क्षेत्र में भी आगे आने की आवश्यकता है। जब भारत की ये युवा शक्ति शासन, प्रशासन की बाग डोर अपने हाथ में लेकर आगे बढ़ेगी तो भारत को विश्व गुरु बनने से कोई नहीं रोक सकता। 

  मैं 2047 के भारत को अपने मस्तिष्क पटल पर देख सकता हूँ कि जब भारत के संसद भवन में बैठ कर एक अर्थशास्त्री युवा बजट प्रस्ताव पेश कर रहा है, मैं देख पा रहा हूँ कि एक इंजिनियर शहरी विकास मंत्रालय संभालते हुये देश के विकास की योजनाएं बना रहा है, मैं देख पा रहा हूँ कि एक शिक्षाविद भावी पीढ़ी के लिए एक बुनियादी पाठ्यक्रम तैयार कर रहा है, मैं यह भी देख पा रहा हूँ कि केसे एक डॉक्टर स्वास्थ मंत्रालय संभालते हुये भविष्य में होंने वालीं स्वास्थ समस्याओं की योजनाएं तैयार कर रहा है। 


उपसंहार- कहते हैं कि युवा का उल्टा वायु होता है और अगर युवा चाह ले तो हवाओं का रुख भी बदल सकता है निश्चित ही हमारी युवा पीढ़ी के हाथो में इस युवा भारत का भविष्य उज्जवल है। वह दिन दूर नहीं जब स्वामी विवेकानंद जी का सपना सच होगा और हमारा भारत पुनः विश्व गुरु बनेगा। उस दिन भारत का प्रत्येक नागरिक गर्व से कह पायेगा *"मेरा भारत, अतुल्य भारत"।

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